हमारे घर के आँगन में सितारे बुझ गए लाखों By Sher << इंसान की दुनिया में इंसाँ... अपनी दीवारों से कुछ बाहर ... >> हमारे घर के आँगन में सितारे बुझ गए लाखों हमारी ख़्वाब गाहों में न चमका सुब्ह का सूरज Share on: