हमारे मय-कदे में ख़ैर से हर चीज़ रहती है By Sher << जब भी दिल खोल के रोए होंग... ताब-ए-नज़्ज़ारा नहीं आइना... >> हमारे मय-कदे में ख़ैर से हर चीज़ रहती है मगर इक तीस दिन के वास्ते रोज़े नहीं रहते Share on: