हमारी ज़िंदगी जैसे कोई शब भर का जल्सा है By Sher << आलम-ए-हू में कुछ आवाज़ सी... कितना प्यारा लगता है >> हमारी ज़िंदगी जैसे कोई शब भर का जल्सा है सहर होते ही ख़्वाबों के घरौंदे टूट जाते हैं Share on: