हमें भी आफ़ियत-ए-जाँ का है ख़याल बहुत By Sher << रहता नहीं इंसान तो मिट जा... दरवाज़ा जो खोला तो नज़र आ... >> हमें भी आफ़ियत-ए-जाँ का है ख़याल बहुत हमें भी हल्क़ा-ए-ना-मोतबर में रक्खा जाए Share on: