हमें तो टूटी हुई कश्तियाँ नहीं दिखतीं By Sher << चमन में न बुलबुल का गूँजे... बहुत दिनों में ये उक़्दा ... >> हमें तो टूटी हुई कश्तियाँ नहीं दिखतीं हमारे घर से ही दरिया दिखाई देता है Share on: