हमें तो याद नहीं कोई लम्हा-ए-इशरत By Sher << ख़िज़ाँ रुख़्सत हुई फिर आ... सुना है अर्श-ए-इलाही इसी ... >> हमें तो याद नहीं कोई लम्हा-ए-इशरत कभी तुम्हीं ने किसी दिन हँसा दिया होगा Share on: