हमेशा ख़ून-ए-दिल रोया हूँ मैं लेकिन सलीक़े से By Sher << किस तरह बे-मौज और ख़ाली र... मुझे ख़बर नहीं ग़म क्या ह... >> हमेशा ख़ून-ए-दिल रोया हूँ मैं लेकिन सलीक़े से न क़तरा आस्तीं पर है न धब्बा जैब ओ दामन पर Share on: