वो कम-सिनी में भी 'अख़्गर' हसीन था लेकिन By Sher << याद-ए-फ़रोग़-ए-दस्त-ए-हिन... तुम्हारी आँखों की गर्दिशो... >> वो कम-सिनी में भी 'अख़्गर' हसीन था लेकिन अब उस के हुस्न का आलम अजीब आलम है Share on: