हर बज़्म क्यूँ नुमाइश-ए-ज़ख़्म-ए-हुनर बने By Sher << आग भी बरसी दरख़्तों पर वह... एक नज़र देखा था उस ने आगे... >> हर बज़्म क्यूँ नुमाइश-ए-ज़ख़्म-ए-हुनर बने हर भेद अपने दोस्तों के दरमियाँ न खोल Share on: