हर चंद अमरदों में है इक राह का मज़ा By Sher << महव हूँ इस क़दर तसव्वुर म... नज़र में बंद करे है तू एक... >> हर चंद अमरदों में है इक राह का मज़ा ग़ैर अज़ निसा वले न मिला चाह का मज़ा Share on: