हर दम आने से मैं भी हूँ नादिम By Sher << हर तरफ़ ज़र्फ़-ए-वज़ू भरत... गिर्या तो 'क़ाएम'... >> हर दम आने से मैं भी हूँ नादिम क्या करूँ पर रहा नहीं जाता Share on: