हर गली कूचे में रोने की सदा मेरी है By Sher << हिज्र ओ विसाल चराग़ हैं द... हमें जब अपना तआ'रुफ़ ... >> हर गली कूचे में रोने की सदा मेरी है शहर में जो भी हुआ है वो ख़ता मेरी है Share on: