हिज्र ओ विसाल चराग़ हैं दोनों तन्हाई के ताक़ों में By Sher << इसे बच्चों के हाथों से उठ... हर गली कूचे में रोने की स... >> हिज्र ओ विसाल चराग़ हैं दोनों तन्हाई के ताक़ों में अक्सर दोनों गुल रहते हैं और जला करता हूँ मैं Share on: