हर मरहला-ए-ग़म में मिली इस से तसल्ली By Sher << क्या ग़ैर क्या अज़ीज़ कोई... बाग़-ए-बहिश्त से मुझे हुक... >> हर मरहला-ए-ग़म में मिली इस से तसल्ली हर मोड़ पे घबरा के तिरा नाम लिया है Share on: