हर साल बहार से पहले मैं पानी पर फूल बनाता हूँ By Sher << जिसे मंज़िल समझ कर रुक गए... इक कार-ए-मुहाल कर रहा हूँ >> हर साल बहार से पहले मैं पानी पर फूल बनाता हूँ फिर चारों मौसम लिख जाते हैं नाम तुम्हारा आँखों में Share on: