जिसे मंज़िल समझ कर रुक गए हम By Sher << मय-कशी के भी कुछ आदाब बरत... हर साल बहार से पहले मैं प... >> जिसे मंज़िल समझ कर रुक गए हम वहीं से अपना आग़ाज़-ए-सफ़र था Share on: