'इक़बाल' की नवा से मुशर्रफ़ है गो 'नईम' By मीर तक़ी मीर, Sher << इतना रोया हूँ ग़म-ए-दोस्त... ग़म से बिखरा न पाएमाल हुआ >> 'इक़बाल' की नवा से मुशर्रफ़ है गो 'नईम' उर्दू के सर पे 'मीर' की ग़ज़लों का ताज है Share on: