ग़म से बिखरा न पाएमाल हुआ By ग़म, Sher << 'इक़बाल' की नवा स... गर्द-ए-शोहरत को भी दामन स... >> ग़म से बिखरा न पाएमाल हुआ मैं तो ग़म से ही बे-मिसाल हुआ Share on: