हँसी में टाल दे फिर से हमारी हर ख़्वाहिश By Sher << हिज्र की रात वो ख़त भी जल... ग़ज़ब तो ये है वो ऐसा कह ... >> हँसी में टाल दे फिर से हमारी हर ख़्वाहिश फिर एक बार थपक दे हमारा गाल ज़रा Share on: