हँसना रोना पाना खोना मरना जीना पानी पर By Sher << हर-दम बदन की क़ैद का रोना... बे-सबब कुछ भी नहीं होता ह... >> हँसना रोना पाना खोना मरना जीना पानी पर पढ़िए तो क्या क्या लिक्खा है दरिया की पेशानी पर Share on: