हाथ क्यूँ बाँधे मिरे छल्ला अगर चोरी हुआ By Sher << पीछे छूटे साथी मुझ को याद... सैलाब-ए-तबस्सुम से दरमान-... >> हाथ क्यूँ बाँधे मिरे छल्ला अगर चोरी हुआ ये सरापा शोख़ी-ए-रंग-ए-हिना थी मैं न था Share on: