सैलाब-ए-तबस्सुम से दरमान-ए-जराहत कर By Sher << हाथ क्यूँ बाँधे मिरे छल्ल... मुझ जैसे दरवेश तुम्हारी द... >> सैलाब-ए-तबस्सुम से दरमान-ए-जराहत कर टुकड़े दिल-ए-बिस्मिल के आलूदा-ए-ख़ूँ कब तक Share on: