हाथ पत्थर से हो गए मानूस By Sher << देर लगती है बहुत लौट के आ... जो बार-ए-दोश रहा सर वो कब... >> हाथ पत्थर से हो गए मानूस शौक़ कूज़ा-गरी का क्या कीजे Share on: