नमाज़-ए-सुब्ह वो ही पढ़ रहे थे का'बे में By Sher << पाँव पूजूँ मैं अपने हाथों... न ज़क़न है वो न लब हैं न ... >> नमाज़-ए-सुब्ह वो ही पढ़ रहे थे का'बे में जनाब-ए-'मेहर' जो मंदिर में थे पुजारी रात Share on: