किधर का चाँद हुआ 'मेहर' के जो घर आए By Sher << किस पर नहीं रही है इनायत ... ख़ूब-रूई पे है क्या नाज़ ... >> किधर का चाँद हुआ 'मेहर' के जो घर आए तुम आज भूल पड़े किस तरफ़ किधर आए Share on: