हवेलियाँ भी हैं कारें भी कार-ख़ाने भी By Sher << अपनी कश्ती सर पे रख कर चल... इश्क़ से लोग मना करते हैं >> हवेलियाँ भी हैं कारें भी कार-ख़ाने भी बस आदमी की कमी देखता हूँ शहरों में Share on: