अपनी कश्ती सर पे रख कर चल रहे हैं हम 'शहाब' By Sher << ये हुस्न-ए-दिल-फ़रेब ये आ... हवेलियाँ भी हैं कारें भी ... >> अपनी कश्ती सर पे रख कर चल रहे हैं हम 'शहाब' ये भी मुमकिन है कि अगले मोड़ पर दरिया मिले Share on: