हवा की ज़द में पत्ते की तरह था By Sher << मैं फ़ैसले की घड़ी से गुज... गुज़रें जो मेरे घर से तो ... >> हवा की ज़द में पत्ते की तरह था वो इक ज़ख़्मी परिंदे की तरह था Share on: