हवाएँ रोक न पाईं भँवर डुबो न सके By Sher << होश वाले तो उलझते ही रहे हँसते हँसते बहे हैं आँसू ... >> हवाएँ रोक न पाईं भँवर डुबो न सके वो एक नाव जो अज़्म-ए-सफ़र के बा'द चली Share on: