होश वाले तो उलझते ही रहे By Sher << हदूद-ए-जिस्म से आगे बढ़े ... हवाएँ रोक न पाईं भँवर डुब... >> होश वाले तो उलझते ही रहे रास्ते तय हुए दीवानों से Share on: