हिदायत शैख़ करते थे बहुत बहर-ए-नमाज़ अक्सर By Sher << क्या जाने कब लम्हों की मफ... अफ़सोस किसी से मिट न सकी ... >> हिदायत शैख़ करते थे बहुत बहर-ए-नमाज़ अक्सर जो पढ़ना भी पड़ी तो हम ने टाली बे-वज़ू बरसों Share on: