हिज्र था बार-ए-अमानत की तरह By Sher << कोई स्कूल की घंटी बजा दे निकल आए जो हम घर से तो सौ... >> हिज्र था बार-ए-अमानत की तरह सो ये ग़म आख़िरी हिचकी से उठा Share on: