हिनाई हाथ से आँचल सँभाले By Sher << फ़ज़ा में हाथ तो उट्ठे थे... मिरी ख़ाक उस ने बिखेर दी ... >> हिनाई हाथ से आँचल सँभाले ये शरमाता हुआ कौन आ रहा है Share on: