हिसार-ए-ज़ात से कट कर तो जी नहीं सकते By Sher << झूट सच में कोई पहचान करे ... हैं राख राख मगर आज तक नही... >> हिसार-ए-ज़ात से कट कर तो जी नहीं सकते भँवर की ज़द से यूँ महफ़ूज़ अपनी नाव न रख Share on: