हक़ीक़ी चेहरा कहीं पर हमें नहीं मिलता By Sher << वार हर एक मिरे ज़ख़्म का ... इसी ख़याल में हर शाम-ए-इं... >> हक़ीक़ी चेहरा कहीं पर हमें नहीं मिलता सभी ने चेहरे पे डाले हैं मस्लहत के नक़ाब Share on: