वार हर एक मिरे ज़ख़्म का हामिल आया By Sher << जिस तरह हम ने रातें काटी ... हक़ीक़ी चेहरा कहीं पर हमे... >> वार हर एक मिरे ज़ख़्म का हामिल आया अपनी तलवार के मैं ख़ुद ही मुक़ाबिल आया Share on: