हो गया ज़र्द पड़ी जिस पे हसीनों की नज़र By Sher << कौन कहता है कि तू ने हमें... इक मिरा सर कि क़दम-बोसी क... >> हो गया ज़र्द पड़ी जिस पे हसीनों की नज़र ये अजब गुल हैं कि तासीर-ए-ख़िज़ाँ रखते हैं Share on: