इक मिरा सर कि क़दम-बोसी की हसरत इस को By Sher << हो गया ज़र्द पड़ी जिस पे ... वो तमाशा ओ खेल होली का >> इक मिरा सर कि क़दम-बोसी की हसरत इस को इक तिरी ज़ुल्फ़ कि क़दमों से लगी रहती है Share on: