होंटों से उस दर्द की ख़ुशबू आ कर जिस्म में फैल गई By Sher << हम को इतना गिरा-पड़ा न सम... हिज्र की रात वो ख़त भी जल... >> होंटों से उस दर्द की ख़ुशबू आ कर जिस्म में फैल गई कितना दर्द इकट्ठा था उस ठंडी सी पेशानी में Share on: