होश आया तो कहीं कुछ भी न था By Sher << वक़्त कहाँ रुका भला पर ये... ग़ज़ल उस ने छेड़ी मुझे सा... >> होश आया तो कहीं कुछ भी न था हम भी किस बज़्म में जा बैठे थे Share on: