हूँ तिश्ना-काम-ए-दश्त-ए-शहादत ज़ि-बस कि मैं By Sher << इक जैसे हैं दुख सुख सब के... सदियों में कोई एक मोहब्बत... >> हूँ तिश्ना-काम-ए-दश्त-ए-शहादत ज़ि-बस कि मैं गिरता हूँ आब-ए-ख़ंजर-ओ-शमशीर देख कर Share on: