हुई मुद्दत कि उन को ख़्वाब में भी अब नहीं देखा By Sher << किस शान से गए हैं शहीदान-... भूली नहीं उजड़े हुए गुलशन... >> हुई मुद्दत कि उन को ख़्वाब में भी अब नहीं देखा मैं जिन गलियों में अपने दोस्तों के साथ खेला था Share on: