हुज़ूर-ए-दुख़्तर-ए-रज़ हाथ पाँव काँपते हैं By Sher << या तो जो ना-फ़हम हैं वो ब... ख़ुदा के हाथ में मत सौंप ... >> हुज़ूर-ए-दुख़्तर-ए-रज़ हाथ पाँव काँपते हैं तमाम मस्तों को रअशा है रू-ब-रू-ए-शराब Share on: