या तो जो ना-फ़हम हैं वो बोलते हैं इन दिनों By Sher << क्या हसीं ख़्वाब मोहब्बत ... हुज़ूर-ए-दुख़्तर-ए-रज़ हा... >> या तो जो ना-फ़हम हैं वो बोलते हैं इन दिनों या जिन्हें ख़ामोश रहने की सज़ा मालूम है Share on: