हम हवा से बचा रहे थे जिन्हें By Sher << ऐ मज़ाहिब के ख़ुदा तेरी म... आँखें कहीं दिमाग़ कहीं दस... >> हम हवा से बचा रहे थे जिन्हें उन चराग़ों से जल गए शायद Share on: