हम इतने परेशाँ थे कि हाल-ए-दिल-ए-सोज़ाँ By Sher << हम लब-ए-गोर हो गए ज़ालिम नाख़ुन का रंग सीना-ख़राशी... >> हम इतने परेशाँ थे कि हाल-ए-दिल-ए-सोज़ाँ उन को भी सुनाया कि जो ग़म-ख़्वार नहीं थे Share on: