हूरों की तलब और मय ओ साग़र से है नफ़रत By Sher << क़दम क़दम पे दोनों जुर्म-... ख़्वाब मेरा है ऐन बेदारी >> हूरों की तलब और मय ओ साग़र से है नफ़रत ज़ाहिद तिरे इरफ़ान से कुछ भूल हुई है Share on: