हुस्न काफ़िर था अदा क़ातिल थी बातें सेहर थीं By Sher << अपना लहू यतीम था कोई न रं... इक बेवफ़ा के प्यार में हद... >> हुस्न काफ़िर था अदा क़ातिल थी बातें सेहर थीं और तो सब कुछ था लेकिन रस्म-ए-दिलदारी न थी Share on: