हुस्न-ए-अमल में बरकतें होती हैं बे-शुमार By Sher << सोने से जागने का तअल्लुक़... ख़ुश-लिबासी है बड़ी चीज़ ... >> हुस्न-ए-अमल में बरकतें होती हैं बे-शुमार पत्थर भी तोड़िए तो सलीक़े से तोड़िए Share on: