इधर उधर से मुक़ाबिल को यूँ न घाइल कर By Sher << जला है दिल या कोई घर ये द... हम ने पाई है उन अशआर पे भ... >> इधर उधर से मुक़ाबिल को यूँ न घाइल कर वो संग फेंक कि बे-साख़्ता निशाना लगे Share on: